भारत में 30 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट से लैस मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन लोगों तक मोबाइल के माध्यम से इतनी अधिक फर्जी, गलत और नफरत फैलाने वाली खबरें पहुंच रही हैं जितनी पहले कभी नहीं पहुंचती थीं। लोकसभा चुनावों के दौरान ऐसी खबरों की संख्या और बढ़ने वाली है। चुनावों के नतीजे 23 मई, 2019 को आने हैं।
सत्ताधारी दक्षिणपंथी दल की तथाकथित वॉट्सएैप की सेना इस कदर 'हथियारबंद' कर दी गई है कि यह राजनीतिक परिणामों को प्रभावित कर सके। फेसबुक और वॉट्सएैप दोनों यह दावा करते हैं कि वे निष्पक्ष हैं। लेकिन यह दावा हकीकत से कोसों दूर है। एक ही समूह की ये दोनों कंपनियां नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी के उनके समर्थकों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लाभ पहुंचाने में संलिप्त रही हैं। यह काम नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के पहले से चल रहा है।
दुनिया के अलग—अलग देशों में विश्व के सबसे बड़े सोशल मीडिया संगठन पर तरह—तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस पुस्तक में भारत में फेसबुक और वॉट्सएैप के कामकाज की पड़ताल आलोचनात्मक ढंग से की गई है।